स्वप्निल धुरिया ने अपनी पुस्तक "ड्रीमकैचर" प्रकाशित की है
स्वप्निल धुरिया ने अपनी पुस्तक "ड्रीमकैचर" प्रकाशित की जो दर्शाता है की यह दुनिया दो भागों में विभाजित है एक जो ‘परा’ है , एक है ‘लौकिक’ , जो हम देख सकते है और महसूस कर सकते है, वो लौकिक है और परा वो है तो मौजूद होकर भी हम देख नही पा रहे है, पर कई बार वह हमें महसूस होती है, ठीक वैसे ही जैसे हवा हमें दिखाई नहीं देती पर महसूस होती है ।
पुस्तक "ड्रीमकैचर" के बारे में
पुस्तक "ड्रीमकैचर" दर्शाता है की यह दुनिया दो भागों में विभाजित है एक जो ‘परा’ है , एक है ‘लौकिक’ , जो हम देख सकते है और महसूस कर सकते है, वो लौकिक है और परा वो है तो मौजूद होकर भी हम देख नही पा रहे है, पर कई बार वह हमें महसूस होती है, ठीक वैसे ही जैसे हवा हमें दिखाई नहीं देती पर महसूस होती है। ये, वो वास्तविकता है जो होकर भी हमारा मन उसे मानने को इंकार करता रहता है कि जो दिख रहा है उससे भी हटकर कुछ साथ-साथ घटित हो रहा है, पर, बिना दिखाई दिये, बिना सुनाई दिये.........रहस्य की दुनिया में ‘सपने’ भी अपना एक अलग स्थान रखते है , ये वो कल्पना है जो हम कर नहीं रहे बल्कि हमसे हो रही है। कई बार तो यह इतना सच्चाई को छूते हुए होते है कि अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि वो सच था या सपना, तो कई बार वह भविष्य की घटना को इस तरह हूबहू प्रस्तुत करते है कि लगता है कोई टीवी सिरियल का एपिसोड हमने पहले से देख लिया हो, कई बार इतने डरावने कि रात को सोने में सोचना पड़े। हर रोज नया विषय, नया स्थान, कभी याद रह जाते है तो कभी तुरंत भूल जाते है हम इन्हें।बस इसी बात को साथ लेते हुए मैंने कुछ रचनाएँ लिखी है जो सच हो भी सकती है और नहीं भी। ठीक वैसे ही जैसे हम सपना देख के उठते तो सोचते है ये सच में हुआ था या नहीं। कहते है “ड्रीमकैचर” अच्छे सपने पकड़ के लाता है, कुछ इसी तरह ही यह पुस्तक ने भी कुछ कैच कर , कुछ बुन कर, कुछ कल्पना कर बुना है।
लेखिका स्वप्निल धुरिया के बारे में
पुस्तक "ड्रीमकैचर" की लेखिका स्वप्निल धुरिया, पेशे से एक बैंकर है और राजभाषा अधिकारी के तौर पर काम कर रही है और लेखन के प्रति जुड़ाव के चलते उन्होने बैंकिंग के साथ-साथ कहानियाँ भी लिखना प्रारम्भ किया और यह पुस्तक ड्रीमकैचर इनकी पहली पुस्तक है, इस पुस्तक के जरिये उनका प्रयास है कि हिन्दी लेखन और हिन्दी साहित्य के प्रति नई युवा पीढ़ी आकर्षित हो, इसलिए रहस्य, विज्ञान और रहस्य-विज्ञान के मध्य जो हल्की सी जगह होती है उन विषयों पर कहानियों के जरिए वह पाठकों को कल्पना की दुनिया की सैर कराना चाहती है।
सरल भाषा और सीधी- सीधी "मैं" वाचक में लिखी गई कहानियाँ नए वर्ग के पाठकों के लिए विशेष तौर पर रची गई है।